एक सफर कालका जी और लोटस टेंपल, दिल्ली


वैसे तो हमेशा ही कहीं न कहीं घूमने के बारे सोचते रहते है । तो इसी सिलसिले में रबिबार के दिन कालका जी और लोटस टेंपल, दिल्ली घूमने का निस्चय किया | मेरे साथ मेरे ही सहमित्र अजय जी भी इस सफर में चलने लिए तैयार हो गए । वैसे तो मेरा प्रतिदिन ही नोएडा से नेहरू प्लेस जाना होता है ।कालका जी और लोटस टेंपल इसी मार्ग पर पड़ते है । इससे पहले मैने वाहर से ही दोनों ही स्थानों को देखा हुआ था । चलिए आज फिर कालका जी और लोटस टेंपल की यात्रा के इस सफर को जारी रखते है ।

पहले से कोई योजना नहीं थी इसीलिए मै और मेरे मित्र अजय दोपहर को करीब ११ बजे निकले । नोएडा से एक दिल्ली परिवहन निगम की ४९२ नंबर की बस चलती है । जो नोएडा सेक्टर ६२ से सराय काले खान स्टेशन होते हुए नेहरू प्लेस तक जाती है । मैंने अपने मित्र के साथ ही ४० रुपये का दैनिक पास लिया और बस से चल पड़े । मेरे लिए तो इस मार्ग पर यात्रा करना कोई नई बात नहीं थी लेकिन मेरे मित्र के लिए यह एक नई और उत्साह बर्धक बात थी ।

कनॉट प्लेस दिल्ली की एक शाम

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काफी समय से आगे की पोस्ट को लिखने के बारे में लिखने के बारे में सोच रहा था । पर समय नहीं मिल पाने के कारण ऐसा नही हो सका । फिलहाल उस दिन सायं ५ बजे हम लोग कनॉट प्लेस, जोकि राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के पास है, पहुँच चुके थे । मेट्रो स्टेशन से बाहर निकले तो सामने सच में क्या नज़ारा था । ऐसा लग रहा था की हम कहीं विदेश में हो । मेरे किसी दोस्त ने बताया था की कनॉट प्लेस में काफी विशाल तिरंगा ध्वज है जोकि बहुत बड़ा है । इसलिए और भी इच्छा हो रही थी । आज मै उसी जगह पर था मेरे साथ में मेरे दोस्त मंजीत के लिए भी एक नया अनुभव था ।


एक सफर दिल्ली मेट्रो के साथ

अभी कल की ही बात है । आफिस की छुट्टी होने के कारण कमरे पर मै और मेरा दोस्त मंजीत जोकि हमारे ही गृहजनपद शहीदों की नगरी शाहजहाँपुर  के रहने वाले हैं । हम लोग आपस में दूर के रिश्तेदार भी हैं । हम लोगों ने निश्च्य  किया कि आज मैट्रो रेल की यात्रा का लुत्फ उठाया जाये । अपनी योजना के अनुसार हम लोग लगभग दोपहर का भोजन करने के बाद दोपहर के लगभग साढ़े ग्यारह बजे मेट्रो सेक्टर  १५  नोएडा स्टेशन पर पहुंचे । चूँकि मेट्रो स्मार्ट कार्ड होने की वजह से स्टेशन पर कोई दिक्कत नहीं हुई और हम लोग ट्रेन का इंतज़ार करने लगे जोकि नॉएडा सिटी सेंटर से द्वारका की और जा रही थी । थोड़ी देर बाद ट्रैन प्लेटफॉर्म पर आ गयी और हम ट्रैन में चढ़ गए । चूँकि दिल्ली मेट्रो यातायात का सुबिधाजनक होने तथा समय की बचत के कारण इसमें हमेशा ही भीड़ रहती है। बहुत ही किस्मत अच्छी हो तो सीट पर बैठने का अवसर मिल सकता है अन्यथा सफर खड़े खड़े ही करना पड़ता है | 


दिल्ली अन्तर्राज्यीय बस स्टेशन से जुड़ीं कुछ जानकारियाँ

दिल्ली अन्तर्राज्यीय बस स्टेशन के  मुख्य पूंछतांछ नंबर्स
क्या आप बस से हिमाचल या राजस्थान जाने के बारे में सोंच रहे हैं ? इसके लिए आवश्यक है की बस यातायात और सड़क परिवहन के बारे में जानकारी हो । इससे आप अपना कीमती समय बचा सकते हैं और दिक्कतों से भी बच सकते हैं । दिल्ली में मुख्यतः ३ अन्तर्राज्यीय बस स्टेशन हैं जहाँ से कई राज्यों के लिए आसानी से बसें उपलब्ध हैं । इनमे से मुख्य बस स्टैंड आनंद विहार , कश्मीरी गेट और सराय काले ख़ान बस स्टेशन ।  राजस्थान परिवहन निगम का अपना स्टैंड बीकानेर हाउस में है जयं से राजस्थान के लिए बसें चलती हैं । हिमाचल रोडवेज की भी डीलक्स बसें हिमांचल भवन से चलती हैं ।

आनंद विहार , कश्मीरी गेट और सराय काले ख़ान बस रोडवेज  के कुछ मुख्य पूंछतांछ नंबर्स :-

ISBT Anand Vihar Enquiry Telephone Numbers - 011 - 22152431, 22148097
यहाँ से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए बसें आसानी से उपलव्ध हैं ।


जाना था राजा का सहसपुर पँहुच गये हल्द्वानी

वैसे तो मेरी इस उत्तराखण्ड की यात्रा की कोई पूर्व योजना नहीं थीं। लेकिन हाँ एक दोस्त कि शादी  में राजा का सहसपुर जाना था। यह स्थान जिला मुरादाबाद में चन्दौसी रोड पर स्थित एक छोटा रेलवे स्टेशन है। इस पूर्व योजना के तहत मुझे सुबह में ऊना हिमांचल एक्सप्रेस ट्रैन (१४५५६ ) से राजा क सहसपुर जाना था। जिसका वहाँ पहुँचने क समय १०:३० बजे है। फिलहाल इसी तैयारी में मै सुवह ६:३० बजे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुँच गया। जाकर राजा का सहसपुर क टिकट ले लिया । ६६ रुपये का टिकट था टिकट लेने के बाद जब ऊना हिमांचल ट्रेन का यहाँ पहुँचने क समय पता किया। ट्रैन निर्धारित समय ६:५५ मिनट से ३० मिनट देरी से चल रही थी।


पहली बार नीलकंठ महादेव और ऋषिकेश

वैसे तो पहले से ही नीलकंठ महादेव और ऋषिकेश जाने के बारे में सोच रहा था , बस इंतजार था समय का। अभी शनिबार को ऑफिस से जल्दी छुट्टी हो जाने के कारण इसी दिन जाने का पूर्ण निस्चय किया। पिछली बार मै इन्हीं दिनों हरिद्वार तक तो गया था। इस बार ऋषिकेश तक जाने कि योजना थी। एक मित्र जी को फोन किया लेकिन समय न होने के कारण असमर्थता बता दी। फिलहाल अकेले ही निकलना पड़ा। मैंने यह तय किया था कि शनिबार कि शाम में साहिबाबाद से ट्रैन से चलकर हरिद्वार और ऋषिकेश घूमकर रबिबार रात तक बापस आ जायेंगे।