उग्रसेन की बावली, दिल्ली Ugrsen Ki Baoli, Delhi

दिनांक : ९ अप्रैल                                                                                    
अभी कल ऐसे ही दिल्ली में कम चर्चित लेकिन बावली में उत्कृष्ट उग्रसेन की बावली, दिल्ली जाना हुआ | यहाँ तक पहुंचना वेहद आसान है | वैसे तो ज्यादातर लोग पहले भी यहाँ गए होंगे लेकिन फिर भी जानकारी के लिए बताते चलें कि यहाँ पहुंचने के लिए निकटतम मेट्रो स्टेशन बाराखंभा रोड है जो राजीव चौक से ठीक पहले दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन यानि की नॉएडा सिटी सेण्टर से द्वारका जाने वाली लाइन पर है | उग्रसेन की बावली बाराखंभा रोड  मेट्रो स्टेशन से महज ५०० मीटर ही है और आप आसानी से पैदल भी जा सकते हैं  | दिल्ली के अन्य स्थानों की तरह उतनी प्रसिद्ध तो नहीं लेकिन हाँ एक बार देखने योग्य है | चलिए अब कुछ फोटो के माध्यम से इस यात्रा की जुवानी :-


एक बार फिर ऋषिकेश और सहस्त्रधारा,देहरादून यात्रा

दिनांक : १ अप्रैल                                    दिन : शनिवार





वैसे तो पहले से ही इस यात्रा पर जाने का मन था लेकिन किसी ना किसी वजह से जाना नहीं हो पाया ।  आखिरकर इस सफर की सुरुआत शनिवार को ग़ाज़ियाबाद से चलने वाली ट्रैन के साथ हो ही गयी । वैसे तो इस सप्ताह मुझे शुक्रवार को ही चलना चाहिए था लेकिन अंतिम समय पर निर्णय लेने के कारण ऐसा हुआ । चलिए कोई नहीं एक दिन देर सही । शनिवार दोपहर को लेटे हुए ही आखिरकर देहरादून जाना निश्चित हो गया क्योंकि ऋषिकेश तो एक बार पहले भी नीलकंठ महादेव मंदिर जाते समय जा चुका था । तो बेग पैक करके शनिवार सांय ४ बजे रूम से निकल गए । नॉएडा होने की वजह से मेरे यहाँ से ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन पास पड़ता है । ऑटो किया और ५:२० बजे ग़ाज़ियाबाद स्टेशन पहुँच गए । दिल्ली से ऋषिकेश जाने वाली ट्रेन का यहाँ पहुँचने का समय ६ बजकर २५ मिनट था । फिलहाल ५ मिनट की देरी से ट्रैन आयी । लोकल ट्रेन होने की वजह से ज्यादातर यात्री मोदीनगर, मेरठ या फिर मुज्जफरनगर के ही थे । कम ही यात्री हरिद्वार और ऋषिकेश जा रहे थे । ऊपर की शीट मिल गयी । ट्रैन चल दी और ८ बजे मेरठ पहुंची । थोड़ा सा नास्ता किया और चाय पी । उसके बाद फिर धीरे धीरे नींद आने लगी ।

दिल्ली से रेवाड़ी यात्रा : रोचक सफर और किस्मत का साथ



इस यात्रा कार्यक्रम का संयोग भी अचानक ही बना | बीते शनिवार (११ फरबरी २०१७ )को वैसे तो दिल्ली सराय रोहिल्ला स्टेशन देखना था पर घुम्मकड़ प्रवति की वजह से रेवाड़ी जा पहुंचे | नॉएडा सेक्टर १५ से राजीव चौक और कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन होते हुए दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन के नजदीकी मेट्रो स्टेशन जो की रेड लाइन पर है शास्त्री नगर पहुँच गए | यहाँ से रेलवे स्टेशन १ किलोमीटर ही है रिक्शा करते हुए १५ मिनट में दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए |

भारतीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली Indian Rail Musiam, New Delhi

दिनांक : २८ जनवरी 


इस सप्ताह भारतीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली जाने का संयोग बना । वैसे तो ज़्यादातर मित्र इससे परिचित ही होंगे लेकिन फिर भी बताते चलें की यह संग्रहालय चाणक्य पुरी नई दिल्ली में स्थित है । चलिए आगे सफर पर चलते हैं । मैं सुबह ही तैयार हो गया लेकिन निकलते निकलते सुबह के ११ बज गए । सेक्टर १५ नॉएडा पहुंचकर मेट्रो पकड़ी । यमुना बैंक होते हुए राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर उतरकर फिर हुडा सिटी सेण्टर की और जाने वाली मेट्रो में बैठकर भारतीय रेल संग्रहालय के निकटतम मेट्रो स्टेशन जोरबाग पहुँचे । इस मेट्रो स्टेशन से भारतीय रेल संग्रहालयलगभग ५ किलोमीटर दूर है । जहाँ केवल पब्लिक साधन में ऑटो से ही पहुँच सकते है । वैसे दिल्ली परिवहन की ६०२ नंबर बस भी पुरानी दिल्ली से जाती है ।

2016 बर्ष में की गयी यात्राओं का लेखा जोखा

सबसे पहले सभी ब्लॉग मित्रों को आने वाले आगामी नवबर्ष की अभी से ही शुभ कामनायें । 

चलिए इस साल की गयी यात्राओं पर एक नजर डालते है।  यह साल यात्राओं के हिसाब से ठीक ठाक रहा । ज्यादा तो नहीं लेकिन कुछ यात्रायें की गयी । जिनका संछिप्त बिबरण इस प्रकार है ।

फरवरी में शादी होने के बाद सबसे पहले इसी माह में नैनीताल की यात्रा की गयी । वैसे मैं एक साल पहले २०१५ में भी अकेले ही नैनीताल चला गया था । इस बर्ष जाना भी एक अलग अनुभव रहा । यात्रा बरेली से किच्छा, हल्द्वानी, नैनीताल होते हुए की गयी । आगे टनकपुर के पास माँ  पूर्णागिरि तक भी जाने का इरादा था । लेकिन अभी मेला सीजन ना होने के कारण नहीं जा पाए ।

छतरपुर मंदिर भ्रमण, दिल्ली

इस पोस्ट को सुरुआत से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें |

पिछले यात्रा बृतान्त में आपने कुतुबमीनार के बारे में पढ़ा । कुतुबमीनार दर्शन के बाद हम लोग वापस मेट्रो से अगले ही स्टेशन छतरपुर आ गए । अब समय था यहाँ के मंदिर को देखने का । मेट्रो से बाहर आकर मंदिर जाने का रास्ता पता किया । एक सज्जन ने बताया कि मंदिर बस पास में ही है पैदल ही जा सकते हो । मेट्रो के पास में ही एक जगह बड़ी मुश्किल से बेकार चाय पी गयी । खैर आगे से बाएं मुड़कर मंदिर के लिए रास्ता जाता है । मंदिर इस चौराहे से ५०० मीटर ही दूर है । पैदल ही मंदिर के पास पहुंचे । एक दुकानदार प्रशाद बेंच रहा था ५१ रुपये का प्रशाद ले लिया । मंदिर समिति ने मुफ्त में ही जूते -चप्पलों को टोकन के हिसाव से जमा करवाने की व्यवस्था की है  । ऐसी ही व्यवस्था कमल मंदिर (लोटस टेम्पल ), कालकाजी और अक्षरधाम मंदिर दिल्ली में पहले मैंने देखी थी । हमने भी अपने जूते चप्पल जमा कर के टोकन ले लिए । 



दिल्ली की शान : कुतुबमीनार

दिनांक : २६ नवम्बर , दिन : शानिवार 

शुक्रवार का दिन आते ही मन में कहीं नकहीं जाने का विचार आने लगता है । इस वार भी कुछ ऐसा ही हुआ । पहले तो मथुरा या फिर आगरा जाने का प्रोग्राम बना पर शनिवार कि सुबह होते होते कुछ कारणों से विचार बदल जाने से ना जाने कब कुतुबमीनार और छतरपुर मंदिर जाना तय हुआ पता ही नहीं चला । खैर चलते है इस सफर पर आगरा और मथुरा फिर कभी ।


सुबह सुबह ही तैयार होकर अपनी पत्नी के साथ दिल्लीके सफर पर रवाना हुए । वैसे तो अधिकतर लोग परिचित ही होंगे लेकिन फिर भी जानकारी के लिए बताते चलें की कुतुबमीनार अपने आप में मेट्रो स्टेशन है जो हुडा सिटी सेंटर वाली मेट्रो लाइन पर साकेत से अगला स्टेशन है । नॉएडा से जाने के लिए आपको राजीव चौक स्टेशन से लाइन बदलकर जाना होगा ।  हम लोग भी सुबह ९:३० बजे सुबह निकलकर करीब ११:०० बजे कुतुबमीनार स्टेशन पहुंचे । वहां से ऑटो करते हुए वस् १५ मिनट में ही कुतुबमीनार काम्प्लेक्स परिषर में थे । शनिवार सप्ताहांत का दिन होने के कारण दर्शकों की अच्छी खाशी भीड़ थी । किन्तु टिकट काउंटर पर भीड़ नहीं थी । आसानी से ३० रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से २ टिकेट लेलिये । साथ ही ५ रुपये बैग रखने के लिए जमा करा दिया ।


अमिताभ पार्क नॉएडा , पहली छोटी यात्रा

आज अपने लैपटॉप पर कुछ पुराने फोटो देख रहे थे इसी सिलसिले में नजर अपनी अमिताभ पार्क नॉएडा में स्थित यात्रा फोटो पर पड़ी । एक रोचक बात यह थी की पढ़ाई के बाद नॉएडा आने के बाद यह मेरी पहली छोटी यात्रा रही । मन हुआ चलो उन यादों को एक बार लिखा जाये । इस यात्रा में मेरे सहयोगी सहमित्र कामेश थे। बात २०१२ दिशंबर माह की है। उस समय एक दिन सायं में इस अमिताभ पार्क में जाने का अवसर प्राप्त हुआ । आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की यह पार्क नॉएडा और और दिल्ली बार्डर पर नॉएडा में सेक्टर १५ मेट्रो स्टेशन के पास ही है । यहाँ पर आप पैदल या ऑटो से भी जा सकते है दूरी केवल १ किलोमीटर है । 

हम दोनों लोग पैदल ही घूमते हुए पार्क पहुँच गए । काफी बड़ा पार्क है और मनोरंजन के लिए झूलों के साथ साथ फब्बारे भी है । पार्क में घूमते ही कुछेक फोटो लिए और फिर हमे जानकारी मिली की ओखला पक्षी विहार भी यहीं पास में ही है । समय ना होने के कारण जाना नहीं हो सका अगली बार जब भी समय मिलेगा आराम से घूमेंगे । चलिए अब एक नजर कुछ फोटो पर :-

एक बार फिर अक्षरधाम मंदिर , दिल्ली का सफर

जैसा की पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि किस प्रकार पुराने किले और दिल्ली चिड़ियाघर का सफर करने के बाद हम लोग वापस आये । चूँकि समय कम होने के कारण अक्षरधाम मंदिर , दिल्ली (akshardham temple, delhi ) जाना नहीं हो सका । चलिए इसी सफर पर आज अक्षरधाम मंदिर , दिल्ली चलते हैं । २५ जून, दिन-शनिवार को सायं में अक्षरधाम मंदिर जाने का विचार बना । पुराने किले और दिल्ली चिड़ियाघर की तरह यहाँ भी हालाँकि में २ साल पहले आ चुका था । सायं ४ बजे ही हम लोग तैयार हो गए । ओला कैब (ola cab ) बुक करने के बाद हम लोग रवाना हुए और मयूर विहार होते हुए लगभग ४:५० बजे अक्षरधाम मंदिर पहुँच गए । उम्मीद से अधिक  भीड़ थी इसका कारण शनिवार का दिन था । 

अंदर पहुँचे सामान जमा करने के लिए फॉर्म लेकर भरने के ३० मिनट  बाद जमा किया । तब तक ५:१५ बज चुके थे । अब धीरे धीरे दर्शकों की भीड़ भी बढ़ने लगी थी । कुछ चेकिंग के बाद हम लोंगो ने मंदिर के मुख्य प्रांगड़ में प्रवेश किया । क्या सुन्दर नज़ारा था इसे वही लोग महसूस कर सकते हैं जो पहले यहाँ आये हो । पत्थरों पर की गयी सुन्दर नक्काशी और मूर्तियों की कलाकारी और सामने स्थित भव्य मंदिर काफी अच्छे लग रहे थे ।  साथ ही परिसर में स्थित म्यूज़ियम, फोटो प्रदर्शनी और वाटर बोटिंग सब कुछ अच्छा लग रहा था ।