१६ जनबरी २०१८ , मंगलवार
इस नए साल यात्रा की शुरुआत उत्तर प्रदेश के छोटा हरिद्वार और आस्था के संगम गंगा जी के किनारे स्थित बृजघाट, गढ़ मुक्तेस्वर से हुई | १६ जनबरी २०१८ को मौनी अमावस्या का शुभ दिन होने के कारण यहाँ जाना निश्चित हुआ | वैसे तो यह स्थान मेरे घर जाने के रास्ते में बीच में ही पड़ता है लेकिन कभी जाना नहीं हो पाया | चलिए आज चलते हैं | १५ जनवरी को नाईट शिफ्ट करने के बाद सुबह फ्री हुए | रूम पर थोड़ा आराम करने के बाद सुबह ठीक ५:३० बजे ऑटो पकड़ कर सीधे सेक्टर ६२ पहुंचे | फिर यहाँ से शेयर्ड ऑटो से २० मिनट बाद आनंद विहार बस स्टेशन , दिल्ली पहुँच गए | तब तक सुबह हो गयी थी और ६:३० बजे समय हो गया था | बृजघाट, गढ़ मुक्तेस्वर जाने के लिए बसें आनंद विहार बस स्टेशन, दिल्ली से मिलती हैं | दिल्ली लखनऊ हाइवे पर स्थित होने के कारण यहाँ आप बरेली , मुरादाबाद , लखनऊ या फिर सीधे गढ़ मुक्तेस्वर जाने वाली बस से पहुँच सकते हैं | दिल्ली से बृजघाट, गढ़ मुक्तेस्वर ९४ किलोमीटर है | २-३ घंटे में आसानी से पहुंचा जा सकता है | मुझे मुरादाबाद जाने वाली बस मिल गयी | ११६ रुपये का टिकट लेकर बस में आगे ही खिड़की वाली शीट मिल गयी | मोहननगर ,गाज़ियाबाद , हापुड़ बाईपास होते हुए बस रास्ते में गढ़ मुक्तेस्वर से पहले एक सरकारी ढावे पर चाय, नास्ते के लिए रुकी |
करीब २० मिनट बाद बस चल दी फिर यहाँ से चलकर ९:४० बजे सुबह बृजघाट, गढ़ मुक्तेस्वर पहुँच गए | मौनी अमावस्या का दिन होने के कारण इस पावन तीर्थ स्थान पर भीड़ भी अधिक थी और मेला लगा हुआ था | गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण इस स्थान की पौराणिक मान्यता है | यहाँ पर भी हरिद्वार की तरह ही घण्टाघर गंगा नदी के किनारे बना हुआ है जिसमे एक विशाल घड़ी लगी है | मुझे सबसे पहले स्नान करना था इसलिए टहलते हुए थोड़ा दूर गंगा घाट के किनारे पहुंचे | स्नान पूजा इत्यादि करने के बाद कुछेक फोटो भी लिए | कुछ नाव वाले लोगों को ५० रुपये प्रति चक्कर के हिसाब से बोटिंग भी करा रहे थे | कई जगह पर धार्मिक कार्य , हवन और भंडारा इत्यादि चल रहा था | माँ गंगा के चरणों में इस पावन स्थान पर चारो और भक्तिमय वातावरण था | सुबह का समय होने के कारण मौसम भी काफी अच्छा हो गया था | गंगा घाट से बहार आकर एक होटल पर चाय जलपान किया फिर कुछ देर बाजार में टहलते रहे | तब तक भूख भी लगने लगी थी | एक होटल पर लंच किया | घड़ी में दोपहर के १ बज चुके थे | कुछेक फोटो लिए | अब वापसी का समय था | थोड़ा सा ऊपर चलकर ही ऊपर हाइवे से दिल्ली जाने वाली बस मिल गयी | बस से ४ बजे तक रूम पर वापस पहुँच गए |
चलिए अब एक नजर यात्रा चित्रों पर :-
चार पाँच बार यहां जाना हुआ है, मेले की भीड से बचकर रहता हूँ।
ReplyDeleteपहली बार गढ गंगा मेले में ही फँसा था।
धन्यबाद सर जी,सही कह रहे हो मेले में खासतौर विशेष पर्व पर भीड़ हो ही जाती है| ऐसे मे भीड़ से बचने मे ही भलाई है|
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत बहुत धन्यबाद कविता जी |
Deleteaapne bahut achha likha hai
ReplyDeletemai bhi ek hindi blogger hu
mai Mumbai ke bareme likhta huan
Thanks for lovely comment
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