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चण्डीगढ़ यात्रा : (Chandigarh Trip)

इस यात्रा सफर को शुरू से पड़ने के लिए क्लिक करें 

१७ अप्रैल , रविवार 
जैसा की पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि सायं ७ बजे हम कटरा से बस से रवाना हुए और नींद की वजह से आँख सीधे सुबह चंडीगढ़ बस स्टैंड पर खुली । यहाँ रुकने के लिए रेलवे स्टेशन के पास ही होटल में रिजर्वेशन था और अगले दिन दिल्ली जाने के लिए भी रिजर्वेशन । इसलिए आज का पूरा दिन हमारे पास घूमने के लिए था । बस से उतरे कई ऑटो वाले मिल गए एक से बात हुई होटल तक जाने के लिए १५० रूपए देकर सुबह ६:१० बजे होटल पहुंचे । रिसेप्शन पर २ ही बन्दे थे एक भी हलकी नींद में था । अपना ऑनलाइन रिजर्वेशन दिखाया चेक किया कहने लगा की आप जल्दी चेक इन कर रहे हैं उसका कुछ चार्ज अलग से देना होगा । हाँ कहते हुए आखिरकर रूम में पहुँचे, फ्रेश हुए और फिर रेस्ट किया । होटल में ही ब्रेकफास्ट भी शामिल था इसलिए दोपहर में चाय के साथ ब्रेकफास्ट भी कर लिया । होटल की सर्विस और रूम दोनों ही अच्छी थीं । फिलहाल तब तक २ बज गए थे अब समय था चंडीगढ़ घूमने का । मैंने आज का दिन सुखना झील, रॉक गार्डन और rose गार्डन देखने के लिए निश्चित किया था । 

२ बजे रूम से बाहर आये, काफी तेज़ धूप थी एक प्राइवेट ऑटो वाले से बात की १०० रूपए देकर सुखना झील पहुँचे, सच में इस झील को चंडीगढ़ की प्राकृतिक खूबसूरती कह सकते हैं । काफी अच्छा लगा । अंदर पहुँचकर कुछेक फोटो लिए और झील भ्रमण भी किया । कुछ लोग झील में बोटिंग भी कर रहे थे और कुछ लोग झील के पास ही टहल रहे थे  । झील परिसर में ही जलपान की अच्छी व्यवस्था है, साथ ही बच्चों के खेलने के लिए ही झूले भी हैं । झील के पीछे ही एक पर्वत श्रृंखला दिखायी देती है । मैंने एक स्थानीय व्यक्ति से इस बारे में पूंछा तो उसने बताया की इस झील के आगे वाले पहाड़ चंडीगढ़ से कालका होते हुए शिमला जाते समय दिखाई देते है । झील के पास में ही स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स भी है जो केवल स्टाफ के लिए है । हम लोगों ने कुछ पोटो लिए और जूस आदि नास्ता करने के बाद फिर पास में ही स्थित रॉक गार्डन के लिए चल दिए । 

चलो बुलाबा आया है : माँ वैष्णों देवी यात्रा ( Ma Vaishno Devi Yatra, Katra)

दिनांक : १४ अप्रैल , गुरुवार

वैसे तो इस यात्रा  की विधिवत शुरुआत कटरा, जम्मू से हुई । लेकिन मेरे लिए यह यात्रा १४ अप्रैल को ही शुरू हो गयी । पहले से पूर्व निर्धारित इस यात्रा का सबसे बड़ा फायदा इस यात्रा का सफलता पूर्वक संपन्न होना है ।

चलिए अब इस यात्रा सफर पर चलते हैं, १४ से १७ अप्रैल की ऑफिस से छुट्टी लेने के बाद १३ की सायं कालीन ड्यूटी करने के बाद, रात्रि ९ बजे ऑफिस से बाहर आकर सेक्टर ६२ से अपने घर जाने के लिए शहजहंपुर डिपो की बस का इंतज़ार करने लगे ।  किस्मत अच्छी थी की आनंदविहार बस स्टैंड नहीं जाना पड़ा और सेक्टर ६२ हाइवे से ही बस मिल गयी । मेरा अपनी पत्नी जी के साथ में अगले दिन यानि की १५ अप्रैल को सियालदह एक्सप्रेस से जम्मू का शाहजहांपुर से रिजर्वेशन था। इसीलिए एक दिन पूर्व ही अपने गृह जनपद जाना अनिवार्य था । फिलहाल बस मिली और भाग्य बस शीट भी, जो मेरे लिए प्रसन्नता की बात थी । ऑफिस करने की वजह से थकान भी आ रही थी और नींद भी । बस ५ मिनट रुकने के बाद चल दी । आगे हापुड़ पहुँचने से पहले ही घर पर आने की सूचना दे दी की सुबह तक आ जायेंगे । बस चलने के साथ साथ ठंडी हवा और खिड़की केपास शीट होने के कारण कब नींद आई पता ही नहीं चला । आँख जब खुली जब बस एक होटल पर रात्रि भोजन और जलपान के लिए रुकी । ३० मिनट रुकने के बाद बस चल दी और आगे मुरादाबाद, रामपुर और बरेली होते हुए सुबह के ६ बजे शाहजहांपुर पहुँच गए । पत्नी जी से बात हुई और शाहजहांपुर ही रुक गए ।