काफी समय से ब्लॉग पर पोस्ट लिखने के बारे में सोच रहा था । अपनी शादी और व्यस्तता की वजह से कब जनबरी, फरबरी और मार्च गुजर गया पता ही नहीं चला । चलिए आज आप को एक बार फिर नैनीताल के इस खूबसूरत सफर पर लिए चलते हैं । ६ फरबरी को शादी समारोह और अन्य कार्यों की वजह से फरबरी माह में ही अपनी श्रीमती जी के साथ इस बार नैनीताल जाने का संयोग बना ।
हालांकि मैं पहले भी एक बार नैनीताल जा चुका था इस बार पत्नी जी के कहने पर अकस्मात ही प्रोग्राम बन गया । दिनांक १८ फरबरी, दिन गुरुबार की सुबह को इस यात्रा सफर की शुरुआत हुई । ऑफिस से मैंने पहले ही २ दिन गुरुबार और शुक्रबार का अवकाश ले लिया था, शनिवार और रविवार साप्ताहिक छुट्टी होने की वजह से ४ दिन हमारे पास थे । फिलहाल बुधवार को रात्रि ड्यूटी करने के बाद सुबह ही गाज़ियाबाद से अवध असम एक्सप्रेस पकड़कर बरेली तक जाना पड़ा। दुर्भाग्य से उस दिन यह ट्रैन लगभग ३ घंटे की देरी से चल रही थी । उधर मेरी पत्नी जी का फ़ोन आ रहा था की किस समय तक आप बरेली पहुँचोगे ।
अचानक प्रोग्राम बनाने का सबसे बड़ा नुकसान सफर के दौरान होता है । पहले तो एक बार को वैष्णो देवी माँ के मंदिर जम्मूतवी जाने का मन हुआ । लेकिन वहां फिर कभी जाने के इरादे से नैनीताल जाना ही उचित लगा । चलिए अब यात्रा बृत्तान्त पर आगे चलते है । ऑफिस से रात्रि ड्यूटी करने के बाद सुबह गाज़ियाबाद स्टेशन पहुंचे , अवध असम (गुवाहाटी एक्सप्रेस ) ट्रैन ११:२५ मिनट पर आयी जिसका यहाँ पहुँचने का निर्धारित समय ८ बजकर ४५ मिनट था । ट्रैन में भीड़ तो थी लेकिन फिर भी हापुड़ से आगे ऊपर की बर्थ पर शीट मिलने से रात्रि में जगे होने की कारण नींद से काफी आराम मिला । मुरादाबाद और रामपुर होते हुए ट्रैन करीब ४:१५ बजे सायं को बरेली पहुंची । मेरी पत्नी जी तब तक अपने भाई जी के साथ १५ मिनट पहले ही बाघ एक्सप्रेस से यहाँ पहुँच गयीं थीं ।