इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
१६ अगस्त २०१५ , रबिबार
बड़ी अच्छी नींद आयी । मौसम ठंडा होंने की वजह से सुबह 8 बजे आँख खुली। फ्रेश होने और नास्ता करने के बाद 9 बजकर 30 बजे रूम से निकले । मैंने सुबह उठते ही यह निश्चय कर किया था की आज कहाँ घूमा जायेगा । अभी मेरे पास काफी समय था और काठगोदाम से दिल्ली जाने बाली ट्रेन भी रात में 9 बजे बजे थी । सबसे पहले तो नैनीताल की इस खूबसूरत माल रोड पर घुमते रहे और दूसरे सिरे पर पहुँच कर जिस तरफ से नैना पीक, राजभवन, नैनीताल की मुख्य बाजार, रोपवे पॉइंट आदि है। इस तरफ से झील बहुत ही सुन्दर दिखाई दे रही थी। पास में ही नैनीताल का स्टेडियम भी झील के बिलकुल पास सुन्दर प्रतीत हो रहा था । कुछ बच्चे फुटबाल और बॉलीबाल खेल रहे थे ।
नैनीताल में माल रोड के ठीक सामने की सड़क जिसे ठंडी सड़क के नाम से जानते हैं । मैं स्टेडियम के पास से घूमते हुए नैना देवी मंदिर में पहुंचा । कुछेक फ़ोटो और मंदिर दर्शन करने के बाद ठंडी सड़क पर था । क्या खूबसूरत नजारा था इसे सब्दों में वयान करना कठिन है। ठंडी सड़क पर झील के किनारे चलते हुए अच्छा लग रहा था। इसी सड़क पर बीच में और भी मंदिर हैं फ़ोटो लिए । काफी समय हो गया था पैदल ही चलते हुए भूंख भी लगने लगने लगी थी । पेट्रोल पम्प के पास ही एक होटल पर गरमागरम आलू के परांठे सब्जी के साथ नास्ते में लिए । तब तक सुबह के 11 बज चुके थे । मौसम कल की तरह आज भी ख़राब होने लगा था और हल्की बारिश भी शुरू हो गयी। मेरा मन चिड़ियाघर देखने का था । पर मौसम की वजह से नहीं जा पाया । अगली बार जब भी जाना होगा तो अवश्य जाऊंगा ।
अब पास ही नैनीताल के बस स्टैंड पर पहुंचे। एक बार फिर से इस खूबसूरत सरोबर नागरी को अलविदा कहते हुए कुछ फ़ोटो भी लिए । हल्द्वानी को जाने बाली बस लगी हुई थी । खिड़की के पास वाली शीट मिल गयी। यहाँ से चलते समय मौसम और भी सुहाना हो गया था । पहाड़ों की गोद में लहराते बलखाते हुए हमारी बस करीब 1 बजकर 30 बजे हल्द्वानी पहुंची। रास्ते में एक जगह जोकि जियोलकोट तिराहे के पास ही बस चाय नास्ते और बिश्राम के लिए रुकी थी ।
2 बजे मै हल्द्वानी में था । मेरी ट्रेनरानीखेत एक्सप्रेस थी जिसके काठगोदाम से यहाँ आने में अभी काफी समय था । इस ट्रेन का यहाँ निर्धारित समय रात्रि में 8 बजकर 57 बजे था। तब तक रेलवे स्टेशन पर ही बिश्राम किया एक सह मित्र जी अंश जी से बातचीत के माध्यम से समय का पता नहीं लगा । जोकि पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं । मैं अब हल्द्वानी की बजाय काठगोदाम घूमना चाहता था जोकि यहाँ से मात्र 9 किलोमीटर दूर है ।
इसे उत्तराखंड के कुमायूँ भाग का प्रवेश द्धार भी कहा जाता है । यहाँ से अल्मोड़ा, रानीखेत, रामनगर, कौसानी, नैनीताल आदि जगहों पर आसानी से जाया जा सकता है। मेरे सह मित्र जी देहरादून जा रहे थे और किसी पेपर के सिलसिले में हल्द्वानी आये थे । उनकी ट्रेन लिंक देहरादून एक्सप्रेस काठगोदाम से रात्रि में 8 बजे थी।
अब हम लोग कुछ देर में ट्रेन से काठगोदाम पहुँच गए। ट्रेन से बाहर निकले क्या खूबसूरत नजारा था ऐसा लग रहा था की ट्रेन हमें पहरों की गोद में ले आई हो। काठगोदाम उत्तर पूरब रेलवे का अंतिम स्टेशन है । जो उत्तराखंड के कुमायूं भाग में आता है। चारो और विशालकाय पहाड़ शाम के समय और भी सुन्दर लग रहे थे । कुछ फ़ोटो लिये। ट्रेन के यहाँ से चलने में अभी भी समय था। भूख लग रही थी रेलवे भोजनालय में जाकर भोजन किया । अभी तक के इस सफर में यह सबसे स्वादिष्ट भोजन था। अपने सह मित्र जी को विदा किया।
कुछ देर बाद मेरी भी ट्रेन रानीखेत एक्सप्रेस जिससे गाज़ियाबाद तक सफ़र करना था। प्लेटफार्म 1 पर तैयार थी शीट लेकर बैठ गए । यहाँ से यह ट्रेन 8 बजकर 38 बजे चल दी। रास्ते भर में अपनी इस खूबसूरत यात्रा को फ़ोटो के द्वारा याद करता रहा और नींद आ गयी । सुबह चार 3 बजकर 40 बजे आँख खुली ट्रेन गाज़ियाबाद स्टेशन पर थी। यहाँ उतरकर चाय पीने के बाद अपने रूम नॉएडा के लिए प्रस्थान किया। 2 दिन की यह यात्रा शानदार रही काफी नयी जानकारी प्राप्त हुई और ऐसा भी प्रतीत हुआ की ऐसी सुन्दर जगह पर जाने के लिये आपके पास एक सप्ताह का समय तो होना ही चाहिये। चलिए एक बार चित्रों के माध्यम से आपको इस यात्रा सफर पर ले चलते हैं;
ठंडी सड़क पर स्थ्ति मंदिर |
नैनीताल की ठंडी सड़क |
नैनीताल से बापसी (जियोलिकोट तिराहा ) |
हल्द्वानी से काठगोदाम \जाते समय |
काठगोदाम में स्वादिष्ट थाली |
Badhiya lekh.....
ReplyDeleteधन्याबाद प्रदीप जी ,
Delete