कुमाऊं की खूबसूरत वादियाँ - नैनीताल यात्रा भाग -१

१५ अगस्त २०१५, शनिवार 


ब्लॉग पर कोई पोस्ट लिखे हुए काफी समय हो गया था और यात्रा किए हुए भी । इस बार भी साप्ताहिक अवकाश होने के कारण इस २ दिवसीय यात्रा का संयोग बना और यह निस्चय किया कि नैनीताल जाया जाये । शुक्रबार को रात्रिकालीन ड्यूटी करने के बाद सुबह ६  बजे अपने इस सुनहरे सफर के लिए नोएडा से प्रस्थान किया ।  ६:४० बजे ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन पहंचे । हमारी ट्रैन ऊना हिमाचल एक्सप्रेस के आने में अभी ४५ मिनट का समय था । इसी बीच कुछ जलपान करने के पश्चात ट्रैन का इंतज़ार करने लगे । ट्रेन अपने निर्धारित समय ७:०५ मिनट पर १ नंबर प्लेटफॉर्म पर आई । १५ अगस्त होने के कारण भीड़ कम थी फिलहाल शीट मिल गयी । यह ट्रैन वैसे तो दिल्ली से बरेली तक जाती है लेकिन मेरा सफर मुरादाबाद तक ही था ।

करीब १० मिनट रुकने के बाद ट्रैन चल दी । अपने इस सफर के दौरान ही मैंने यह निस्चय किया की पहले ट्रैन से मुरादाबाद चलते हैं फिर वहां से किसी ट्रेन या बस से हल्द्वानी और कठगोदाम होते हुए नैनीताल जायेंगे । नैनीताल नाम सुनकर मन बहुत ही प्रफुलित हो रहा था । खैर हापुड़ , गजरौला , गढ़ और अमरोहा रुकते हुए करीं ११ बजे हम मुरादाबाद पहुंचे । इसी बीच रात्रि के जगे होने के कारण थोड़ी नींद भी पूरी कर ली गयी ।  मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर हल्द्वानी य काठगोदाम जाने वाली ट्रैन के बारे में पता किया तो पता चला कि २:३० बजे काठगोदाम पैसेंजर है । बिना कछ सोचे हुए ट्रैन से काठगोदाम जाने का बिचार त्याग दिया । रेलवे स्टेशन के बाहर से ही ऑटो करते हुए करीब १० मिनट बाद मुरादाबाद के उत्तराखण्ड बस स्टैंड पर पहुंचे । मै यहाँ पर १ साल पहले भी हल्द्वानी जाते समय बस से गया था ।



बस स्टैंड पर पहुंचकर हल्द्वानी जाने वाली बस के बारे में पता किया तो बस लगी ही थी लेकिन यह केबल रुद्रप्र तक ही जा रही थी । फिलहाल कुछ नास्ता करने के बाद बस में खिड़की के किनारे वाली शीट ले ली और बस के चलने का इंतज़ार करने लगे । १० मिनट बाद बस चल दी । मौसम भी काफी सुहाना हो गया था । कांवर यात्रा का समय होने के कारण कई जागे भोले के कांवड़िये भी जाते दिखे ।रुद्रपुर तक का  ७७ रुपये का टिकट लिया गया । रुद्रपुर से ३५ किलोमीटर हल्दवानी और लगभग ४० किलोमीटर नैनीताल है जोकि काठगोदाम से होते हुए जाना पड़ता है । रामपुर, बिलासपुर होते हुए करीब १:२० बजे रुद्रपुर पहुंचे । वहां से हल्द्वानी  जाने वाली बस लगी ही थी शीट मिल गयी और २ :३ ० बजे हल्द्वानी पहुंचे । कुछेक फोटो लेने और नास्ता करने के बाद बिना रुके ही यहाँ से नैनीताल  जाने वाली बस में बैठ  गए । अब हम पहाड़ों की गोद में थे और नैनीताल पहुचने का बड़ी  ही बेसब्री से इंतज़ार करने  लगे । बस कठगोदाम से निकल ही पायी थी की मौसम ख़राब  होने लगा जैसा की आमतौर  पर पहाड़ों पर होता है । रास्ते में एक जगह बिश्राम के लिए बस रुकी यहाँ पर चाय नास्ता  किया गया । कुछेक  फोटो भी लिए । अब  आगे तो और भी मौसम ख़राब हो गया और तेज  बारिश  शुरू  हो गयी साथ  ही  धुंध  भी । चारो और पहाड़ों और बीच में पड़ने  बाले प्राकृतिक झरनो के नज़ारे  देखने लायक  थे ।

फिलहाल जियोलिकोट और भवाली तिराहे से होते हुए सायं ४:५० बजे हम सरोबार  नगरी और विश्व प्रसिद्ध नैनी झील के पास  थे । नैनीताल से पहले एक जगह जाम भी मिला । अब तक मौसम  भी  ठंडा  हो गया  था । जाते ही पहले चाय नास्ता  किया । हाँ हल्द्वानी  से  नैनीताल बस  का  किराया  भी मात्र  ६१ रुपये  ही था । नैनीताल  पहुंचे एक  बार  तो अपने पर  यकीन  नहीं  हो रहा था  की हम उसी नैनी झील के पास हैं जिसे अब तक केवल चित्रों, टीवी या इंटरनेट से देखा था । खूब सारे फोटो  लिए । अब  हमारा इरादा आज नैनीताल में रुककर कल और भी जगह देखने  का था । थोड़ी देर घूमने के बाद कमरे के बारे पता किया झील के बिलकुल पास ही एक कमरा लिया गया । सायं में भोजन करने  के बाद अपने इस यात्रा सफर की आगे की तैयारी के  बारे में सोचते हुए ही सो गए ।

चलिए आपको कुछ चित्रों से अपने इस सफर से अबगत कराते हैं :-


गजियाबाद के पास स्टेशन  


फिर पहुँच गए मुरादाबाद 


हल्द्वानी से नैनीताल जाने वाला मार्ग 


और पहुँच गए नैनीताल 

नैनी झील के प्रथम दर्शन 





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