इस यात्रा कार्यक्रम का संयोग भी अचानक ही बना | बीते शनिवार (११ फरबरी २०१७ )को वैसे तो दिल्ली सराय रोहिल्ला स्टेशन देखना था पर घुम्मकड़ प्रवति की वजह से रेवाड़ी जा पहुंचे | नॉएडा सेक्टर १५ से राजीव चौक और कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन होते हुए दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन के नजदीकी मेट्रो स्टेशन जो की रेड लाइन पर है शास्त्री नगर पहुँच गए | यहाँ से रेलवे स्टेशन १ किलोमीटर ही है । ई रिक्शा करते हुए १५ मिनट में दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए |
टिकेट काउंटर पहुंचे कभी मन कर रहा था की जयपुर जाएँ तो कभी पैसेंजर यात्रा के लिए रेवाड़ी या और कहीं | इसी उलझन में आखिरकार रेवाड़ी पैसेंजर का २० रुपये का टिकेट ले लिया | चलिए आज पैसेंजर यात्रा करते हैं | यहाँ से हरियाणा राज्य स्थित यह प्रमुख जंक्शन केवल दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन से ८० किलोमीटर ही है | जब तक की ३ नंबर प्लेटफॉर्म पर पहुंचे ट्रैन भी आकर लग गयी | घडी में २:२५ मिनट समय हो रहा था | भूंख भी लग रही थी स्टेशन पर ही १० रुपये की एक पैटीज़ लेकर इस पैसेंजर ट्रैन में सवार हो गए | इस रुट पर यह मेरी पहली यात्रा थी इसलिए मन में जबरदस्त उत्साह भी था |
दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन पर करीब ५
मिनट रुकने के बाद यह पैसेंजर ट्रैन चल दी | पैसेंजर ट्रैन होने के कारन इस
ट्रैन के दिल्ली सराय रोहिल्ला से रेवाड़ी तक करीब 15 ठहराव थे |
यहाँ से चलने के बाद ट्रैन अगले ठहराव पटेल नगर पर रुकी | ट्रैन में भीड़ भी अच्छी खासी थी और यह भीड़ दिल्ली कैंट, पालम और गुडगाँव स्टेशन आते आते और भी बढ़ गयी | रेवाड़ी
तक आगे आने बाले स्टेशन इस प्रकार है शाहबाद मोहम्मदपुर, बिजवासन,
गुडगाँव, बसाई धनकोट, गढ़ी
हरसरू जंक्शन, पतली , ताजनगर, जटौला सांपका, पटौदी रोड , इंछापुरी,
खलिपुर, कुंभावास मुंदलिया डाबरी और अंत में रेवाड़ी
जंक्शन | रेवाड़ी तक पहुँचते पहुँचते सायं के लगभग ५ बज गए |
समय कम होने के बाद आज ही दिल्ली वापस भी आना था | रेवाड़ी जंक्शन पहुंचकर और गुलाबी रंग का रेलवे स्टेशन होने के कारण कुछ राजस्थानी संस्कृति का एहसास होने लगा |
थोड़ी देर स्टेशन पर घूमने के बाद अब मैंने वापस बस से दिल्ली जाने का निस्चय किया | इसीलिए १० रुपये ऑटो वाले को देकर रेवाड़ी के बस स्टैंड पहुंचे | यहाँ तक आते आते पेट में फिर चूहे कूदने लगे | बस स्टैंड के पास ही एक होटल
पर चाय और छोले भठूरे का जलपान किया | फिर दिल्ली जाने वाली बस का इंतज़ार
करने लगे |
करीब ३० मिनट बीत गए दिल्ली की कोई भी बस नहीं थी
| मन उदास होने लगा और अब विचार बदलकर फिर ट्रैन से ही वापस चलने का निस्चय
किया | तब तक शाम के ५:३५ बजे का समय हो गया था |
आगे का सफर और भी मजेदार रहा कैसे चलिए बताते हैं | रेलवे स्टेशन के पास पहुंचकर पास में ही स्थित निजी टिकेट कांउंटर से ४५ रुपये का एक दिल्ली का
एक्सप्रेस का टिकेट लिया | किस्मत अच्छी थी की पोरबंदर से मुजफ्फरनगर जाने
बाली एक्सप्रेस ट्रैन (१९२६९) जो कुछ समय बाद यानि की ६ बजे आने वाली थी | अब तो स्टेशन पहुंचकर बस इस ट्रैन का इंतज़ार करने लगे | आखिरकार ३० मिनट बाद यह ट्रैन ६:३० बजे १ नंबर
प्लेटफॉर्म पर आयी | मेरे पास सामान्य टिकेट था इसलिए इसी
में ही यात्रा करनी थी | कोई बात नहीं बस ८० किलोमीटर की बात
है | भीड़ होने के बाबजूद भी ट्रैन में किसी तरह चढ़ गए | ऊफ्फ ये क्या किसी ने मेरी जीन्स की पिछली जेंव से टिकट निकाल लिया या फिर गिर गया पता ही नहीं चला |
जब ट्रैन चल दी तब पॉकेट में चेक किया टिकट ही नहीं था | अब तो बस भगबान का ही आसरा था की है प्रभु किसी तरह दिल्ली स्टेशन पर बहार
निकलते समय टिकेट चेकिंग से बच जाएँ | जिसकी बहुत कम उम्मीद
थी क्योंकि दिल्ली की सभी रेलवे स्टेशन काफी बड़े हैं और बचने की भी कम ही उम्मीद होती है | फिलहाल
ट्रैन अपनी स्पीड से दौड़ रही थी |
करीब ४५ मिनट बाद यह गुडगाँव स्टेशन पर आकर रुकी | एक बार मन हुआ की यही किसी तरह स्टेशन से बाहर निकल लिया जाये लेकिन फिर
दिल्ली तो अभी काफी दूर है इस इरादे के साथ ट्रैन से नहीं उतरे | अब पूरा निस्चय कर लिया की सराय रोहिल्ला स्टेशन पर ही उतरना है जो होगा
देखा जायेगा | मन ही मून अपने ऊपर भी गुस्सा आ रहा था की
टिकेट पीछे की पॉकेट में रखा ही क्यों था | आगे दिल्ली केंट
पर ट्रैन चैन पुल्लिंग की वजह से कुछ देर रुकी और फिर आखिरकार सराय रोहिल्ला
स्टेशन पर ठहराव होने के कारण रुकी | मेरे साथ इसी ट्रैन में
२ और नवयुवक भी सैयद मेरी तरह ही थे | चूँकि आते समय इस स्टेशन को मैं पहले देख चुका था इसीलिए ट्रैन से उलटी और
उतरकर स्टेशन पर चलने लगे लेकिन यह क्या ओवरब्रिज के पास पहुँचते ही टिकेट निरीच्छक से सामना हुआ
| मेरे पास तो टिकेट ही नहीं था उसी समय वो दोनों सहमित्र भी साथ में ही थे । टिकेट
निरीच्छक ने उनसे भी टिकट के बारे में पूंछा । उनमे से एक बन्दे ने टिकेट
निरीच्छक को किसी तरह बातों में उलझा दिया और उनका ध्यान मेरे से हटकर उसी लड़के पर हो गया । इसी बीच मैं अब
तेज कदमो के साथ पास में ही पूल से नीचे उतरकर स्टेशन से बाहर आ गया | किस्मत अच्छी ही थी अन्यथा ५००-६०० रुपये का
जुरमाना तो पक्का ही था | बाहर आकर चैन की सांस ली | और फिर वापसी भी शास्त्री नगर मेट्रो स्टेशन से राजीव चौक से करते हुए करीब
१० बजे रूम पर पहुंचे | अच्छी थकान हो गयी | इस यात्रा से सबक मिला की भीड़ में पहले अपने टिकेट का ध्यान रखना चाहिए और
फिर यात्रा का आनंद उठायें | फोटो भी कुछ ही खींचे जो इस प्रकार
हैं -
विवेकानंद पुरी हाल्ट , दिल्ली |
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