छतरपुर मंदिर भ्रमण, दिल्ली

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पिछले यात्रा बृतान्त में आपने कुतुबमीनार के बारे में पढ़ा । कुतुबमीनार दर्शन के बाद हम लोग वापस मेट्रो से अगले ही स्टेशन छतरपुर आ गए । अब समय था यहाँ के मंदिर को देखने का । मेट्रो से बाहर आकर मंदिर जाने का रास्ता पता किया । एक सज्जन ने बताया कि मंदिर बस पास में ही है पैदल ही जा सकते हो । मेट्रो के पास में ही एक जगह बड़ी मुश्किल से बेकार चाय पी गयी । खैर आगे से बाएं मुड़कर मंदिर के लिए रास्ता जाता है । मंदिर इस चौराहे से ५०० मीटर ही दूर है । पैदल ही मंदिर के पास पहुंचे । एक दुकानदार प्रशाद बेंच रहा था ५१ रुपये का प्रशाद ले लिया । मंदिर समिति ने मुफ्त में ही जूते -चप्पलों को टोकन के हिसाव से जमा करवाने की व्यवस्था की है  । ऐसी ही व्यवस्था कमल मंदिर (लोटस टेम्पल ), कालकाजी और अक्षरधाम मंदिर दिल्ली में पहले मैंने देखी थी । हमने भी अपने जूते चप्पल जमा कर के टोकन ले लिए । 



दिल्ली की शान : कुतुबमीनार

दिनांक : २६ नवम्बर , दिन : शानिवार 

शुक्रवार का दिन आते ही मन में कहीं नकहीं जाने का विचार आने लगता है । इस वार भी कुछ ऐसा ही हुआ । पहले तो मथुरा या फिर आगरा जाने का प्रोग्राम बना पर शनिवार कि सुबह होते होते कुछ कारणों से विचार बदल जाने से ना जाने कब कुतुबमीनार और छतरपुर मंदिर जाना तय हुआ पता ही नहीं चला । खैर चलते है इस सफर पर आगरा और मथुरा फिर कभी ।


सुबह सुबह ही तैयार होकर अपनी पत्नी के साथ दिल्लीके सफर पर रवाना हुए । वैसे तो अधिकतर लोग परिचित ही होंगे लेकिन फिर भी जानकारी के लिए बताते चलें की कुतुबमीनार अपने आप में मेट्रो स्टेशन है जो हुडा सिटी सेंटर वाली मेट्रो लाइन पर साकेत से अगला स्टेशन है । नॉएडा से जाने के लिए आपको राजीव चौक स्टेशन से लाइन बदलकर जाना होगा ।  हम लोग भी सुबह ९:३० बजे सुबह निकलकर करीब ११:०० बजे कुतुबमीनार स्टेशन पहुंचे । वहां से ऑटो करते हुए वस् १५ मिनट में ही कुतुबमीनार काम्प्लेक्स परिषर में थे । शनिवार सप्ताहांत का दिन होने के कारण दर्शकों की अच्छी खाशी भीड़ थी । किन्तु टिकट काउंटर पर भीड़ नहीं थी । आसानी से ३० रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से २ टिकेट लेलिये । साथ ही ५ रुपये बैग रखने के लिए जमा करा दिया ।


अमिताभ पार्क नॉएडा , पहली छोटी यात्रा

आज अपने लैपटॉप पर कुछ पुराने फोटो देख रहे थे इसी सिलसिले में नजर अपनी अमिताभ पार्क नॉएडा में स्थित यात्रा फोटो पर पड़ी । एक रोचक बात यह थी की पढ़ाई के बाद नॉएडा आने के बाद यह मेरी पहली छोटी यात्रा रही । मन हुआ चलो उन यादों को एक बार लिखा जाये । इस यात्रा में मेरे सहयोगी सहमित्र कामेश थे। बात २०१२ दिशंबर माह की है। उस समय एक दिन सायं में इस अमिताभ पार्क में जाने का अवसर प्राप्त हुआ । आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की यह पार्क नॉएडा और और दिल्ली बार्डर पर नॉएडा में सेक्टर १५ मेट्रो स्टेशन के पास ही है । यहाँ पर आप पैदल या ऑटो से भी जा सकते है दूरी केवल १ किलोमीटर है । 

हम दोनों लोग पैदल ही घूमते हुए पार्क पहुँच गए । काफी बड़ा पार्क है और मनोरंजन के लिए झूलों के साथ साथ फब्बारे भी है । पार्क में घूमते ही कुछेक फोटो लिए और फिर हमे जानकारी मिली की ओखला पक्षी विहार भी यहीं पास में ही है । समय ना होने के कारण जाना नहीं हो सका अगली बार जब भी समय मिलेगा आराम से घूमेंगे । चलिए अब एक नजर कुछ फोटो पर :-

एक बार फिर अक्षरधाम मंदिर , दिल्ली का सफर

जैसा की पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि किस प्रकार पुराने किले और दिल्ली चिड़ियाघर का सफर करने के बाद हम लोग वापस आये । चूँकि समय कम होने के कारण अक्षरधाम मंदिर , दिल्ली (akshardham temple, delhi ) जाना नहीं हो सका । चलिए इसी सफर पर आज अक्षरधाम मंदिर , दिल्ली चलते हैं । २५ जून, दिन-शनिवार को सायं में अक्षरधाम मंदिर जाने का विचार बना । पुराने किले और दिल्ली चिड़ियाघर की तरह यहाँ भी हालाँकि में २ साल पहले आ चुका था । सायं ४ बजे ही हम लोग तैयार हो गए । ओला कैब (ola cab ) बुक करने के बाद हम लोग रवाना हुए और मयूर विहार होते हुए लगभग ४:५० बजे अक्षरधाम मंदिर पहुँच गए । उम्मीद से अधिक  भीड़ थी इसका कारण शनिवार का दिन था । 

अंदर पहुँचे सामान जमा करने के लिए फॉर्म लेकर भरने के ३० मिनट  बाद जमा किया । तब तक ५:१५ बज चुके थे । अब धीरे धीरे दर्शकों की भीड़ भी बढ़ने लगी थी । कुछ चेकिंग के बाद हम लोंगो ने मंदिर के मुख्य प्रांगड़ में प्रवेश किया । क्या सुन्दर नज़ारा था इसे वही लोग महसूस कर सकते हैं जो पहले यहाँ आये हो । पत्थरों पर की गयी सुन्दर नक्काशी और मूर्तियों की कलाकारी और सामने स्थित भव्य मंदिर काफी अच्छे लग रहे थे ।  साथ ही परिसर में स्थित म्यूज़ियम, फोटो प्रदर्शनी और वाटर बोटिंग सब कुछ अच्छा लग रहा था । 

एक बार फिर पुराना किला ,चिड़ियाघर , दिल्ली का सफर

अभी वीते सप्ताह नोएडा घर पर माँ और पिताजी का आना हुआ । यह मेरे लिए एक सुखद अनुभव था माँ और पिताजी पहली बार जो आ रहे थे । शाहजहाँपुर से साथ में ही ऐसी बस से मेरे साथ आये थे काफी दिनों से इच्छा थी मेरे कहने पर वो लोग तुरन्त राजी हो गए । काफी अच्छा लगा । दोपहर १ से रात्रि १० बजे तक ऑफिस होने के कारण सुबह में अच्छा समय मिल जाता है । पापा और मम्मी जी की दिल्ली घूमने की भी इच्छा थी ।  इसी सिलसिले में २२ जून, बुधवार  को इस यात्रा सफर के पहले चरण में पुराना किला और दिल्ली का चिड़ियाघर जाना तय हुआ । हालाँकि मैं एक बार पहले भी वहाँ जा चुका था लेकिन इस बार जाने का अलग अनुभव रहा ।

चलिए अब आगे सफर पर चलते हैं ।  दिल्ली और एनसीआर समेत पूरे भारत में ओला कैब सर्विस होने के कारण इस बार इसी से जाने का विचार किया ।  पापा और मम्मी जी सुबह जल्दी ही तैयार हो गए मैं भी नित्य कार्यों से निपटकर ८ बजे ही तैयार हो गया ।  ८:००  बजे सुबह इस सफर के लिए चल दिए ।  पापा और मम्मी जी के साथ दिल्ली भ्रमण की यह मेरी पहली यात्रा थी । इस सफर में पापा और मम्मी जी के अलावा मेरी पत्नी जी भी थी जो पहले भी नैनीताल और वैष्णों देवी यात्रा में मेरे साथ जा चुकी थी । सेक्टर १५ मेट्रो स्टेशन पहुँचे वहाँ से मेट्रो के द्वारा अक्षरधाम , यमुना बैंक और इन्द्रप्रस्थ स्टेशन होते हुए ८:३० बजे प्रगति मैदान स्टेशन पहुंचे । प्रगति मैदान स्टेशन से ही प्राइवेट ऑटो किया और ५० रुपये किराया देकर १० मिनट बाद ही हम पुराने किले में पहुँच गए ।