इस यात्रा कार्यक्रम का संयोग भी अचानक ही बना | बीते शनिवार (११ फरबरी २०१७ )को वैसे तो दिल्ली सराय रोहिल्ला स्टेशन देखना था पर घुम्मकड़ प्रवति की वजह से रेवाड़ी जा पहुंचे | नॉएडा सेक्टर १५ से राजीव चौक और कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन होते हुए दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन के नजदीकी मेट्रो स्टेशन जो की रेड लाइन पर है शास्त्री नगर पहुँच गए | यहाँ से रेलवे स्टेशन १ किलोमीटर ही है । ई रिक्शा करते हुए १५ मिनट में दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए |
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दिल्ली से रेवाड़ी यात्रा : रोचक सफर और किस्मत का साथ
इस यात्रा कार्यक्रम का संयोग भी अचानक ही बना | बीते शनिवार (११ फरबरी २०१७ )को वैसे तो दिल्ली सराय रोहिल्ला स्टेशन देखना था पर घुम्मकड़ प्रवति की वजह से रेवाड़ी जा पहुंचे | नॉएडा सेक्टर १५ से राजीव चौक और कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन होते हुए दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन के नजदीकी मेट्रो स्टेशन जो की रेड लाइन पर है शास्त्री नगर पहुँच गए | यहाँ से रेलवे स्टेशन १ किलोमीटर ही है । ई रिक्शा करते हुए १५ मिनट में दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए |
भारतीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली Indian Rail Musiam, New Delhi
दिनांक : २८ जनवरी
इस
सप्ताह भारतीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली जाने का संयोग बना । वैसे तो
ज़्यादातर मित्र इससे परिचित ही होंगे लेकिन फिर भी बताते चलें की यह
संग्रहालय चाणक्य पुरी नई दिल्ली में स्थित है । चलिए आगे सफर पर चलते हैं ।
मैं सुबह ही तैयार हो गया लेकिन निकलते निकलते सुबह के ११ बज गए । सेक्टर
१५ नॉएडा पहुंचकर मेट्रो पकड़ी । यमुना बैंक होते हुए राजीव चौक मेट्रो
स्टेशन पर उतरकर फिर हुडा सिटी सेण्टर की और जाने वाली मेट्रो में बैठकर
भारतीय रेल संग्रहालय के निकटतम मेट्रो स्टेशन जोरबाग पहुँचे । इस
मेट्रो स्टेशन से भारतीय रेल संग्रहालयलगभग ५ किलोमीटर दूर है । जहाँ केवल
पब्लिक साधन में ऑटो से ही पहुँच सकते है । वैसे दिल्ली परिवहन की ६०२ नंबर
बस भी पुरानी दिल्ली से जाती है ।
2016 बर्ष में की गयी यात्राओं का लेखा जोखा
सबसे पहले सभी ब्लॉग मित्रों को आने वाले आगामी नवबर्ष की अभी से ही शुभ कामनायें ।
चलिए इस साल की गयी यात्राओं पर एक नजर डालते है। यह साल यात्राओं के हिसाब से ठीक ठाक रहा । ज्यादा तो नहीं लेकिन कुछ यात्रायें की गयी । जिनका संछिप्त बिबरण इस प्रकार है ।
फरवरी में शादी होने के बाद सबसे पहले इसी माह में नैनीताल की यात्रा की गयी । वैसे मैं एक साल पहले २०१५ में भी अकेले ही नैनीताल चला गया था । इस बर्ष जाना भी एक अलग अनुभव रहा । यात्रा बरेली से किच्छा, हल्द्वानी, नैनीताल होते हुए की गयी । आगे टनकपुर के पास माँ पूर्णागिरि तक भी जाने का इरादा था । लेकिन अभी मेला सीजन ना होने के कारण नहीं जा पाए ।
छतरपुर मंदिर भ्रमण, दिल्ली
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पिछले यात्रा बृतान्त में आपने कुतुबमीनार के बारे में पढ़ा । कुतुबमीनार दर्शन के बाद हम लोग वापस मेट्रो से अगले ही स्टेशन छतरपुर आ गए । अब समय था यहाँ के मंदिर को देखने का । मेट्रो से बाहर आकर मंदिर जाने का रास्ता पता किया । एक सज्जन ने बताया कि मंदिर बस पास में ही है पैदल ही जा सकते हो । मेट्रो के पास में ही एक जगह बड़ी मुश्किल से बेकार चाय पी गयी । खैर आगे से बाएं मुड़कर मंदिर के लिए रास्ता जाता है । मंदिर इस चौराहे से ५०० मीटर ही दूर है । पैदल ही मंदिर के पास पहुंचे । एक दुकानदार प्रशाद बेंच रहा था ५१ रुपये का प्रशाद ले लिया । मंदिर समिति ने मुफ्त में ही जूते -चप्पलों को टोकन के हिसाव से जमा करवाने की व्यवस्था की है । ऐसी ही व्यवस्था कमल मंदिर (लोटस टेम्पल ), कालकाजी और अक्षरधाम मंदिर दिल्ली में पहले मैंने देखी थी । हमने भी अपने जूते चप्पल जमा कर के टोकन ले लिए ।
पिछले यात्रा बृतान्त में आपने कुतुबमीनार के बारे में पढ़ा । कुतुबमीनार दर्शन के बाद हम लोग वापस मेट्रो से अगले ही स्टेशन छतरपुर आ गए । अब समय था यहाँ के मंदिर को देखने का । मेट्रो से बाहर आकर मंदिर जाने का रास्ता पता किया । एक सज्जन ने बताया कि मंदिर बस पास में ही है पैदल ही जा सकते हो । मेट्रो के पास में ही एक जगह बड़ी मुश्किल से बेकार चाय पी गयी । खैर आगे से बाएं मुड़कर मंदिर के लिए रास्ता जाता है । मंदिर इस चौराहे से ५०० मीटर ही दूर है । पैदल ही मंदिर के पास पहुंचे । एक दुकानदार प्रशाद बेंच रहा था ५१ रुपये का प्रशाद ले लिया । मंदिर समिति ने मुफ्त में ही जूते -चप्पलों को टोकन के हिसाव से जमा करवाने की व्यवस्था की है । ऐसी ही व्यवस्था कमल मंदिर (लोटस टेम्पल ), कालकाजी और अक्षरधाम मंदिर दिल्ली में पहले मैंने देखी थी । हमने भी अपने जूते चप्पल जमा कर के टोकन ले लिए ।
दिल्ली की शान : कुतुबमीनार
दिनांक : २६ नवम्बर , दिन : शानिवार
शुक्रवार का दिन आते ही मन में कहीं नकहीं जाने का विचार आने लगता है । इस वार भी कुछ ऐसा ही हुआ । पहले तो मथुरा या फिर आगरा जाने का प्रोग्राम बना पर शनिवार कि सुबह होते होते कुछ कारणों से विचार बदल जाने से ना जाने कब कुतुबमीनार और छतरपुर मंदिर जाना तय हुआ पता ही नहीं चला । खैर चलते है इस सफर पर आगरा और मथुरा फिर कभी ।
सुबह सुबह ही तैयार होकर अपनी पत्नी के साथ दिल्लीके सफर पर रवाना हुए । वैसे तो अधिकतर लोग परिचित ही होंगे लेकिन फिर भी जानकारी के लिए बताते चलें की कुतुबमीनार अपने आप में मेट्रो स्टेशन है जो हुडा सिटी सेंटर वाली मेट्रो लाइन पर साकेत से अगला स्टेशन है । नॉएडा से जाने के लिए आपको राजीव चौक स्टेशन से लाइन बदलकर जाना होगा । हम लोग भी सुबह ९:३० बजे सुबह निकलकर करीब ११:०० बजे कुतुबमीनार स्टेशन पहुंचे । वहां से ऑटो करते हुए वस् १५ मिनट में ही कुतुबमीनार काम्प्लेक्स परिषर में थे । शनिवार सप्ताहांत का दिन होने के कारण दर्शकों की अच्छी खाशी भीड़ थी । किन्तु टिकट काउंटर पर भीड़ नहीं थी । आसानी से ३० रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से २ टिकेट लेलिये । साथ ही ५ रुपये बैग रखने के लिए जमा करा दिया ।
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